मध्य प्रदेश के प्रमुख सिंचित क्षेत्र

मध्य प्रदेश के प्रमुख सिंचित क्षेत्र

मध्य प्रदेश की कृषि व्यवस्था सिंचाई पर आधारित है, और राज्य के विभिन्न भागों में सिंचित क्षेत्र की मात्रा व स्रोत अलग-अलग हैं। राज्य की भौगोलिक विविधता के अनुसार, इसे चार प्रमुख सिंचित क्षेत्रों में वर्गीकृत किया गया है:
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1. वृहद (उच्च) सिंचित क्षेत्र

  • यह क्षेत्र चंबल घाटी के अंतर्गत आता है और मध्य प्रदेश का सबसे अधिक सिंचित भाग माना जाता है।
  • राज्य के उत्तरी भाग में सर्वाधिक नहरों का निर्माण किया गया है, जिससे लगभग 40% क्षेत्र की सिंचाई होती है।
  • इस क्षेत्र में स्थित ग्वालियर और मुरैना जिले सर्वाधिक सिंचित हैं।

2. मध्यम सिंचित क्षेत्र

  • यह क्षेत्र मध्य प्रदेश के मध्य-पूर्वी भाग में स्थित है तथा उत्तर से दक्षिण तक फैला हुआ है।
  • यहाँ नहरों, कुओं और नलकूपों के माध्यम से लगभग 35% क्षेत्र सिंचित किया जाता है।
  • भिंड और बालाघाट इस क्षेत्र के प्रमुख सिंचित जिले हैं।

3. अल्प सिंचित क्षेत्र

  • मध्य प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्र, विशेषकर नर्मदा घाटी, को अल्प सिंचित क्षेत्र माना जाता है।
  • यहाँ सिंचाई का प्रमुख साधन कुएँ और नलकूप हैं, जिनसे केवल 15% क्षेत्र सिंचित होता है।
  • होशंगाबाद, उज्जैन और इंदौर इस क्षेत्र के सबसे अधिक सिंचित जिले हैं।

4. न्यूनतम सिंचित क्षेत्र

  • राज्य का दक्षिण-पूर्वी भाग न्यूनतम सिंचित क्षेत्र की श्रेणी में आता है।
  • इस क्षेत्र में सिंचाई मुख्यतः तालाबों के माध्यम से की जाती है, जिससे केवल 10% क्षेत्र सिंचित होता है।
  • इस श्रेणी में डिंडोरी जिला सबसे कम सिंचित क्षेत्र वाला जिला है।
मध्य प्रदेश की सिंचाई संरचना उसकी भौगोलिक स्थिति और जल संसाधनों की उपलब्धता पर निर्भर करती है। जहाँ चंबल घाटी जैसे क्षेत्र अत्यधिक सिंचित हैं, वहीं दक्षिण-पूर्वी इलाके आज भी न्यूनतम सिंचित क्षेत्र की श्रेणी में आते हैं। जल प्रबंधन एवं सिंचाई योजनाओं का सटीक क्रियान्वयन राज्य की कृषि उत्पादकता को और अधिक बढ़ा सकता है।

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