सिंचाई क्षमता (मध्य प्रदेश)

मध्य प्रदेश की सिंचाई क्षमता

मध्य प्रदेश भारत के प्रमुख कृषि प्रधान राज्यों में से एक है, जहाँ सिंचाई व्यवस्था राज्य की कृषि उत्पादकता और ग्रामीण जीवन की गुणवत्ता को सीधे प्रभावित करती है। राज्य में सिंचाई क्षमता का विकास योजनाबद्ध और तकनीकी दृष्टिकोण के साथ किया गया है।
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राज्य की कुल सिंचाई क्षमता

वर्ष 2021-22 के आंकड़ों के अनुसार, मध्य प्रदेश की कुल सिंचाई क्षमता 3499.28 हजार हेक्टेयर है। यह क्षमता राज्य की जल संसाधनों की दक्षता और प्रबंधन को दर्शाती है।

शुद्ध सिंचित क्षेत्र में वृद्धि

  • वर्ष 2021-22 में शुद्ध सिंचित क्षेत्र 12881.6 हजार हेक्टेयर था।
  • यह पिछले वर्ष (12515.2 हजार हेक्टेयर) की तुलना में 2.93% अधिक है, जो राज्य की सिंचाई प्रणाली में हुए सुधार का संकेत देता है।

सिंचाई के स्रोत और उनका योगदान

क्रमांक स्रोत प्रतिशत (%)
1 कुएँ एवं नलकूप 78.56%
2 नहरें और तालाबें 25.90%
3 अन्य स्रोत 13.30%

स्पष्ट है कि राज्य की अधिकांश सिंचाई जल आपूर्ति भूमिगत जल स्रोतों पर आधारित है।

राष्ट्रीय स्तर पर स्थान

मध्य प्रदेश का भारत में शुद्ध सिंचित क्षेत्रफल के आधार पर 7वाँ स्थान है। यह राज्य की बढ़ती कृषि संभावनाओं और बेहतर जल प्रबंधन का प्रमाण है।

जल अपवाहन क्षमता और उपलब्ध जल

प्रदेश की 10 प्रमुख नदियाँ राज्य को जल की प्रमुख आपूर्ति प्रदान करती हैं:
  • वार्षिक औसत जल अपवाहन क्षमता: 81,500 मिलियन घन मीटर (75% निर्भरता के आधार पर)
  • राज्य को वास्तविक जल आवंटन: 56,800 मिलियन घन मीटर
  • यह राज्य की कुल जल उपलब्धता का लगभग 69.7% है
इस जल क्षमता का सतत एवं समान वितरण प्रदेश की सिंचाई क्षमता के विस्तार के लिए अत्यंत आवश्यक है।
मध्य प्रदेश की सिंचाई क्षमता न केवल इसके कृषि क्षेत्र को मजबूती प्रदान करती है, बल्कि यह राज्य की खाद्य सुरक्षा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था का भी प्रमुख आधार है। राज्य सरकार द्वारा जल संसाधनों के सतत उपयोग, सिंचाई नेटवर्क के विस्तार और जल प्रबंधन की नीतियों के चलते आने वाले वर्षों में सिंचाई क्षमता में और वृद्धि की उम्मीद की जा सकती है।

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