दिल्ली सल्तनत (मध्य प्रदेश)
यह लेख दिल्ली सल्तनत के दौरान मध्य प्रदेश में हुए महत्वपूर्ण आक्रमणों, विजय अभियानों और प्रशासनिक परिवर्तनों पर प्रकाश डालता है। इसमें महमूद गजनवी, मुहम्मद गोरी, कुतुबुद्दीन ऐबक, इल्तुतमिश, बलबन, खिलजी वंश, और तुगलक वंश के शासकों द्वारा किए गए आक्रमणों का वर्णन किया गया है। लेख में उज्जैन, ग्वालियर, मांडू, चंदेरी, विदिशा, कालिंजर, और धार जैसे प्रमुख स्थानों पर हुए संघर्षों और शासकों की भूमिका को विस्तार से बताया गया है। साथ ही, इस दौरान मध्य प्रदेश के राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य में आए बदलावों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को भी समाहित किया गया है।
मध्य प्रदेश का इतिहास दिल्ली सल्तनत के अधीन कई आक्रमणों, विजय अभियानों और प्रशासनिक परिवर्तनों से भरा हुआ है। 11वीं शताब्दी से लेकर 14वीं शताब्दी तक, तुर्क, खिलजी और तुगलक वंश के शासकों ने इस क्षेत्र पर कई बार आक्रमण किए और इसे अपने अधीन किया।
गजनवी और गोरी का आक्रमण
- 1019 ई.: महमूद गजनवी ने कालिंजर और ग्वालियर पर आक्रमण किया।
- 1195-96 ई.: मुहम्मद गोरी ने ग्वालियर के शासक सल्लक्षण (लोहांग देव) पर आक्रमण किया।
- गोरी ने ऐबक और तुगरिल के साथ त्रिभुवनगढ़ और ग्वालियर दुर्ग पर आक्रमण कर विजय प्राप्त की।
गुलाम वंश के आक्रमण और विजय
- 1202-03 ई.: कुतुबुद्दीन ऐबक ने बुंदेलखंड पर आक्रमण कर चंदेल शासक परमार्दिदेव को पराजित किया और कालिंजर, महोबा, तथा खजुराहो पर अधिकार कर लिया।
- 1196-97 ई.: ऐबक ने उज्जैन पर पहला आक्रमण किया, लेकिन यह विजय स्थायी नहीं रही।
- 1210-1236 ई.: इल्तुतमिश ने मांडू, ग्वालियर, और मालवा को जीतकर उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में लूटपाट की।
- 1231 ई.: इल्तुतमिश ने ग्वालियर दुर्ग पर आक्रमण कर प्रतिहारों को पराजित किया।
- नरवर्मन ने तुर्कों के साथ मिलकर ग्वालियर पर आक्रमण किया, जिसके परिणामस्वरूप तुर्कों का अधिकार हो गया।
- 1234 ई.: छहदेव नामक राजपूत सरदार ने इल्तुतमिश को पराजित किया।
नासिरुद्दीन महमूद और बलबन का शासनकाल
- 1247 ई.: बलबन ने कालिंजर पर आक्रमण किया, बघेल शासकों दलकेश्वर और मलकेश्वर को पराजित किया।
- 1250-1251 ई.: बलबन ने जैतुगीदेव परमार के शासनकाल में चंदेरी, नरवर, और कालिंजर पर आक्रमण किया।
खिलजी वंश के आक्रमण और शासन
- 1290-1296 ई.: जलालुद्दीन खिलजी ने मांडू को लूटा।
- 1292 ई.: अलाउद्दीन खिलजी ने चंदेरी पर अधिकार कर लिया और विदिशा पर आक्रमण किया।
- 1294 ई.: देवगिरि अभियान के दौरान मालवा से होकर गुजरा।
- 1305 ई.: ऐन-उल-मुल्क के नेतृत्व में परमार शासक हरनंद की हत्या हुई और मांडू पर कब्जा कर लिया गया।
- हम्मीरवर्मन (1289-1308 ई.) के उपरांत दमोह तथा जबलपुर क्षेत्र अलाउद्दीन खिलजी के अधीन आ गया।
तुगलक वंश का प्रशासन
- 1324 ई.: ग्यासुद्दीन तुगलक ने दमोह क्षेत्र पर अधिकार कर लिया।
- 1325-1351 ई.: मुहम्मद तुगलक ने बटियागढ़ (दमोह) में गौ-मठ, बावड़ी, और बगीचा बनवाया।
- 1335-1336 ई.: मालवा में भयंकर अकाल पड़ा। ग्वालियर का किलेदार अहमद बिन शेर खान था।
- 1375 ई.: देववर्मन के निधन के बाद वीरसिंह देव ग्वालियर का स्वतंत्र शासक बना।
दिल्ली सल्तनत के विभिन्न शासकों ने मध्य प्रदेश के कई क्षेत्रों पर आक्रमण कर विजय प्राप्त की और वहां शासन किया। महमूद गजनवी, मुहम्मद गोरी, गुलाम वंश, खिलजी वंश, और तुगलक वंश ने इस क्षेत्र पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए लगातार प्रयास किए।
इन आक्रमणों के दौरान कई महत्वपूर्ण दुर्गों और मंदिरों को लूटा गया और प्रशासनिक बदलाव हुए, जिससे मध्य प्रदेश का ऐतिहासिक परिदृश्य पूरी तरह बदल गया।
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