पाण्डव / पाण्डु वंश (मध्य प्रदेश)

मध्य प्रदेश में पाण्डव / पाण्डु वंश का इतिहास

मध्य प्रदेश के इतिहास में पाण्डव / पाण्डु वंश का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। इस लेख में कालिंजर, रीवा रियासत (मैकल के पाण्डु) और अन्य ऐतिहासिक प्रमाणों के आधार पर इस वंश के शासकों, उनके प्रशासन, उपाधियों और योगदान का विस्तृत विवरण दिया गया है। विभिन्न शिलालेखों और ताम्रपत्रों से प्राप्त जानकारी के माध्यम से पाण्डु वंश की ऐतिहासिक प्रामाणिकता को दर्शाया गया है।
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मध्य प्रदेश के ऐतिहासिक परिदृश्य में परिव्राजक तथा उच्चकल्प के उत्तर-पूर्व में एक अन्य महत्वपूर्ण राजवंश, पाण्डु वंश, की जानकारी प्राप्त होती है। इस वंश का उल्लेख विभिन्न अभिलेखों में मिलता है, जिससे इसके शासन, सामाजिक स्थिति तथा सांस्कृतिक प्रभाव का पता चलता है।

कालिंजर का पाण्डु वंश

पाण्डु वंश के एक प्रमुख शासक उदयन का शिलालेख कालिंजर से प्राप्त हुआ है, जिससे यह प्रमाणित होता है कि पाँचवीं शताब्दी के अंत में इस क्षेत्र पर उनका शासन था। यह शिलालेख इस वंश की प्राचीनता और प्रशासनिक व्यवस्था की जानकारी प्रदान करता है।

रीवा रियासत का पाण्डु वंश (मैकल के पाण्डु)

रीवा रियासत में एक अन्य पाण्डु वंश के अस्तित्व के प्रमाण बसनी से प्राप्त ताम्रपत्र से मिलते हैं। यह ताम्रपत्र नरेश भरतबल के शासनकाल के दूसरे वर्ष में प्रचारित किया गया था और इसमें मैकाल के पाण्डुवंशी नरेशों के इतिहास का उल्लेख है।

पाण्डु वंश के प्रमुख शासक

  • जयबल - पाण्डु वंश का प्रथम शासक माना जाता है।
  • वत्सराज - जयबल के पुत्र, जिनकी पत्नी द्रोण भट्टारिका थीं।
  • महाराज नागबल - वत्सराज एवं द्रोण भट्टारिका के पुत्र, जिन्होंने इस वंश को विशेष गौरव प्रदान किया।
  • भरतबल - नागबल के उत्तराधिकारी, जिनके शासनकाल में यह ताम्रपत्र जारी किया गया था।

विशेषताएँ एवं उपाधियाँ

इस ताम्रपत्र की प्रमुख विशेषता यह है कि जयबल एवं वत्सराज के नामों के साथ किसी उपाधि अथवा पदवी का उल्लेख नहीं किया गया है। जबकि नागबल एवं भरतबल के नामों के साथ विशेष सम्मानसूचक उपाधियाँ प्रयोग की गई हैं, जैसे:
  • पदम् ब्राह्मण
  • परम माहेश्वर
  • परम् गुरु
  • देवातधि दैवत्
इन उपाधियों से यह स्पष्ट होता है कि नागबल एवं भरतबल ने अपनी धार्मिक एवं राजनीतिक स्थिति को और अधिक प्रभावशाली बनाने का प्रयास किया था।

अन्य ऐतिहासिक प्रमाण

पाण्डु वंश के अन्य अभिलेख बूढ़ीखार मलगा एवं मल्हार से प्राप्त हुए हैं। ये अभिलेख इस वंश की ऐतिहासिकता को प्रमाणित करते हैं और इसके शासकों के प्रशासनिक व सांस्कृतिक योगदान का विवरण प्रदान करते हैं।
पाण्डु वंश मध्य प्रदेश के प्राचीन राजवंशों में से एक महत्वपूर्ण वंश था। इसके शासकों ने प्रशासनिक और धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण योगदान दिया। विभिन्न अभिलेखों एवं ताम्रपत्रों के माध्यम से इस वंश का विस्तृत विवरण मिलता है, जो मध्य प्रदेश के ऐतिहासिक परिदृश्य में इसे एक महत्वपूर्ण स्थान प्रदान करता है।

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